Monday, February 7, 2011

जन्मदिन मुबारक..


जिन्होंने गज़ल की शुरूआती तालीम दी ... संगीत में सौन्दर्य बोध क्या होता है ..इसका ज्ञान करवाया ...एक सरल रास्ता बनाया ..जिससे होकर हजारों युवा ...संगीत में गहरे उतरते हैं .....उन महान फ़नकार को हम तहे दिल से शुक्रिया कहते हैं ...

आपको जन्मदिन बहुत बहुत मुबारक हो ...

Monday, November 15, 2010

हम देखेंगे - फैज़ अहमद फैज़

उर्दू अदब के अजीम शायर फैज़ अहमद फैज़ का जन्म 7 फरवरी 1911 को हुआ था.वे पाकिस्तान की कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य थे और 1951 में उनको कारावास की सजा हुई थी. आज "कुछ और गीतों.." की श्रृंखला में पेश हैं उनकी ये बहुचर्चित कविता .... इसे स्वर दिया है इक़बाल बानो ने ...

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हम देखेंगे
लाज़िम है के हम भी देखेंगे
वो दिन की जिसका वादा है
जो लौहे-अज़ल पे लिखा है

जब जुल्मो-सितम के कोहे-गरां
रूई की तरह उड़ जाएंगे
हम महकूमों के पांव तले
ये धरती धड़-धड़ धड़केगी
और अहले-हिकम के सर ऊपर
जब बिजली कड़-कड़ कड़केगी

जब अर्ज़े-खुदा के काबे से
सब बुत उठवाए जाएंगे
हम अहले-सफा मर्दूदे-हरम
मसनद पे बिठाए जाएंगे
सब ताज उछाले जाएंगे
सब तख्त गिराए जाएंगे

बस नाम रहेग अल्लाह का
जो गायब भी है, हाज़िर भी
जो मंज़र भी है, नाज़िर भी
उठ्ठेगा अनलहक़ का नारा
जो मैं भी हूं और तुम भी हो
और राज़ करेगी खल्क़े-खुदा
जो मैं भी हूं और तुम भी हो



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अहले-सफा pure people; अनलहक़ I am Truth, I am God. Sufi Mansoor was hanged for saying it; अज़ल eternity, beginning (opp abad); खल्क़ the people, mankind, creation; लौह a tablet, a board, a plank; महकूम a subject, a subordinate; मंज़र spectacle, a scene, a view; मर्दूद rejected, excluded, abandoned, outcast; नाज़िर spectator, reader
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उर्दू शब्दों के अर्थ यहाँ से साभार ...

Saturday, April 3, 2010

बात तोर दिल के

यह खोरठा का एक गीत है ..जो झारखण्ड की एक प्रमुख जनभाषा है ... हिंदी जैसी है ..आसानी से समझ आने योग्य इसलिए गाने के बोल नही लिखे जा रहे.

Thursday, February 25, 2010

नयु-नयु ब्यो च मिठि-मिठि छुईं लगौंला

पत्नी अपने पति से कहती है कि अजी सुनिये! आप इतनी जल्दीबाजी मत करिये। हमारी नयी-नयी शादी है, हम धीरे-धीरे मीठी मीठी बातें करते हुए जायेंगे। पति कहता है कि अजी नहीं तुम तेज तेज चलो, हम लोग जल्दी-जल्दी जायेंगे और इन बातों को हम घर पर पहुंच कर आराम से करेंगे।

पत्नी बहाना बनाते हुए कहती है कि अब तुम ही बताओ मैं तेज तेज कैसे चल पाउंगी, मेरे इतने ऊंचे सैण्डल हैं, यह चढ़ाई वाला ऊंचा रास्ता है, और गर्मी के दिन है। चलो ऐसा करते हैं कि हम दोनों लोग किसी पेड़ की छाया में बैठ जाते हैं, और फिर मीठी मीठी बातें करते हैं आखिर हमारी नयी नयी शादी हुई है।
दोनों की नयी- नयी शादी हुई ..लड़की सैंडल पहन के पहाड़ी रश्तों पर चलने में असमर्थ है
भावार्थ - पति समझाते हुए कहता है कि अब तुम ज्यादा फैशन की बातें ना करो, जल्दी-जल्दी चलो, यदि सैण्डल से परेशानी हो रही है तो सैण्डल अपने बटुए में रख लो और नंगे पैर ही चलो, अगर हम लोग जल्दी घर नहीं पहुंचे तो यहीं भूखे मर जायेंगे, इसलिये जल्दी-जल्दी चलते हैं और इन बातों को घर पर पहुंच कर आराम से करेंगे।

पत्नी झूठा गुस्सा करते हुए कहती है कि तुम तो सिर्फ बात ही करने वाले लगते हो, तुम बहुत बड़े कन्जूस हो,मुझे पैदल वाले रास्ते से ले आये , इससे तो अच्छा होता कि हम आराम से गाड़ी की पिछली सीट पर बैठ कर यात्रा करते, अब चलो आओ थोड़ा नीचे बैठो, और फिर मीठी मीठी बातें करते हैं आखिर हमारी नयी नयी शादी हुई है।

पति फिर समझाता है कि कल परसों से तुम्हें खेतों पर काम करने जाना होगा, तुम अपने इन कोमल हाथ पैरों से कैसे खा पाओगी (गुजर-बसर करोगी), जब इस भरी जवानी में ही तुम्हारे यह हाल है तो पता नहीं बुढापे में तुम्हारा क्या होगा? अब तुम तेज तेज चलो, हम लोग जल्दी-जल्दी जायेंगे और इन बातों को हम घर पर पहुंच कर आराम से करेंगे।

साभार - http://apnauttarakhand.com/